ये ख्याल आता है .......
बिछौने के बगल में कोने की दिवार की टपकती छत को देखकर
ये ख्याल आता है,
गर्मियों में उस टूटे हुए पुल को देखकर
ये ख्याल आता है,
पुलिस की वर्दी में छिपे हुए उस चोर को देखकर
ये ख्याल आता है,
फुटपाथ पर सोते हुए उस विशाल सेना को देखकर
ये ख्याल आता है,
घर के रोज़-रोज़ के झगडों को देखकर
ये ख्याल आता है,
ज़िन्दगी के बीच सफ़र में उस बढे हुए हाथ को देखकर
ये ख्याल आता है,
दर-दर की ठोकरें खाते अपनों के उन नम पलकों को देखकर
ये ख्याल आता है,
अपने बीच ही उस महकते बचपन को देखकर
ये ख्याल आता है,
दूसरों के लिए धड़कने वाले उस दिल को देखकर
ये ख्याल आता है,
वैसे तो ज़िन्दगी गुजारने के लिए बहुत लम्बी है
पर हार कर भी जीने वाले उस रूह को देखकर,
ये ख्याल आता है,
कि कहीं देर ना हो जाए !!
Saturday, April 4, 2009
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