Saturday, April 4, 2009

सोच कभी

कुछ लोग दूर रहकर भी पास थे मेरे .....

सोच कभी
उन लम्हों को जो कभी हसीं हुआ करते थे;
पलकों को नम कर दिया करते थे,
बैठे बैठे किसी अनजाने दुनिया की सैर करा दिया करते थे !

सोच कभी
उस उम्र को जो मासूम हुआ करती थी;
यार अपने और हम उनके हुआ करते थे,
ज़मीन में रहकर भी आसमां में उड़ा करते थे !

सोच कभी
उन आदर्शों को जो शायद ही हम माना करते थे;
उन नियमों को जो हम हँसते हँसते टाल दिया करते थे,
जो मात्र आने के लिए और फिर जाने के लिए हुआ करते थे !

आज बारी है ज़िन्दगी को मुड़कर देखने की
जो खो दिया है उन रिश्तों को खोज निकालने की;
अपनों के पास वापस आने की,
माफ़ी मांगने की !!

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