ज़माना था जब हम नवाब हुआ करते थे
रिक्शे पर बैठकर स्कूल जाया करते थे,
रथ पर हमारे साथ चार मंत्री और चला करते थे
यात्रा के दौरान भोजन सम्बन्धी राजनीति किया करते थे !
सूर्यदेव की पहली आवाज़ के साथ उठा दिए जाते थे
सोचा करते थे,
सूरज मामू के बाकी कार्यों के विषय में
जिन्हें त्यागकर वो अपना सारा ध्यान मुझपर लगाया करते थे !
ज़माना था जब हम नवाब हुआ करते थे
गुसलखाने से भी इंतज़ार करवाया करते थे
नाश्ते में colgate लिया करते थे,
और ये नाश्ता पूरे 20 मिनट तक किया करते थे !
आश्चर्य की बात तो ये थी कि
तब हम रोज़ नहाया करते थे,
शान से वर्दी धारण कर
माताश्री को भगाया करते थे !
पकडे जाने पर TV के सामने बैठकर चुपचाप
दूसरी बार नाश्ता करते थे,
TV देखना जारी रहता था तब
पिताश्री पधारते थे !
सामने आकर हाथ बांधकर खड़े हो जाते थे
तब हम चुपचाप TV बंद कर देते थे,
आदत तो हमें पड़ ही चुकी थी
मार तो हम हर सुबह खाते थे !
रोते रोते जूते घिसते थे
पिताश्री फिर आकर खड़े हो जाते थे,
सच मानिए, हम तुंरत ही रोना बंद कर देते थे
और जाकर अपना बस्ता सजाते थे !
जब हमारा सारथी सड़क पर खड़े होकर चीखता था
तब हम शान से बस्ता ले जा कर उसे थमा देते थे,
आखिर तब हम नवाब हुआ करते थे
रिक्शे से स्कूल जाया करते थे !
क्या बात है! स्वागत.
ReplyDeletehhshhshshshsaahahah..sach me bhot hi achcha hai
ReplyDeleteलिखना उत्तम धन
ReplyDeleteकरदे मन प्रसन्न
तो आप यूँ ही लिखते रहिये
चिठ्ठा जगत में स्वागत है आपका
सुंदर अति सुंदर लिखते रहिये .......
ReplyDeleteआपकी अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा
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