लोग कहते हैं काफी बड़ा हो गया हूँ,
सोचने लगा हूँ, समझने लगा हूँ,
आँखों से अपनी दुनिया देखने लगा हूँ,
शब्द तो बड़े अच्छे थे उनके पर उनका अर्थ शायद थोड़ा अलग था...
जिनकी ऊँगली पकड़ कर चलना सीखा था कभी,
बार-बार गिरकर भी दोबारा खड़ा होना सीखा,
अब उनका हाथ पकड़ने लग गया हूँ
और लोग कहते हैं काफी बड़ा हो गया हूँ|
याद भी नहीं हैं वो पहले शब्द,
जिन्हें सुनने के लिए घंटों सामने बैठे रहते|
अब उन्ही शब्दों को ऊँचा बोलने लग गया हूँ,
और लोग कहते हैं काफी बड़ा हो गया हूँ|
आँखों में आंसू तो तब भी थे उनके जब
पहली बार स्कूल में अकेले छोड़ा था मुझे|
अब लगता है जैसे उन आंसुओं की वजह बदलने लग गया हूँ
और लोग कहते हैं काफी बड़ा हो गया हूँ|
दो साल की उम्र में बीमार होना मेरा एक सजा थी उनके लिए
रात भर खुली आँखों के साथ सोते थे|
और आज भी जब मैं उन्हें रात भर सोने नहीं देता हूँ
तो लोग कहते हैं काफी बड़ा हो गया हूँ|
पट्टियाँ तो मात्र एक बहाना हुआ करती थी,
आस-पास होने के लिए बस एक वजह की तलाश रहती थी उन्हें|
आज जब उनसे दूर रहने की वजह सोचना सीख गया हूँ
तो लोग कहते हैं काफी बड़ा हो गया हूँ|
पैसे तो तब भी नहीं थे मेरे पास,
पर कभी ज़रुरत नहीं पड़ी उनके अस्तित्व के बारे में सोचने की|
पर जब अपने ही घर चोरी करने लगा,
तब लोग कहने लगे काफी बड़ा हो गया हूँ|
इतना सोचने के बाद अचानक मैं स्तब्ध सा रह गया हूँ
भले ही जीवन के मायने कुछ बदलते हुए से दिख रहे हैं आज...
मैं तो आज भी उस पुराने वाले कल में जीना चाहता हूँ,
हमेशा दो साल का ही रहना चाहता हूँ|
Sunday, March 14, 2010
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wah!, welcome
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें